परिवर्तन वक्त का मिजाज होता है,
यह हर सम्बन्ध का हमराज होता है।
जहाँ को देता है मीठी सुर लहरी,
जब अंतस् से दर्दीला साज होता है।
मन को लुभाता है तितली-सा बहकना,
पर उसूलों से बंधा बाज होता है।
सहता है नदी का वियोग वो हर पल,
उस पर्वत की अडिगता पर नाज होता है।
तोङने में हार है, प्रेम के पथिक की,
जोङना ही जीत का आगाज होता है।
3 टिप्पणियां:
वाह!! बहुत बढ़िया!
सुंदर भाव .. बहुत बढिया रचना !!
आपका हिन्दी चिट्ठाकारी में स्वागत है।
लगता है कि आपको ड़ टाइप करने में असुविधा हो रही है जिसके कारण आप उसके जगह पर ङ टाइप कर दे रहे हैं।
हिन्दी लिखने के लिये आप कौन सा प्रोग्राम प्रयोग में लाते हैं? किसी हिन्दी चर्चा समूह (जैसे चिट्ठाकार) पर आप अपनी समस्या क्यों नहीं रखते?
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