नव वर्ष की अल्स्साबह पहला प्यार मिल जाये।
रब करे, हलक में अटका शब्द निकल जाये।
प्यार से भी प्यारा, जीवन का हो सहारा,
हर्षातिरेक से सहृदय के कुछ आंसू छलक जाये।
ब्लॉग में हृदयस्पर्शी कोई टिप्पणी मिल जाये।
चिट्ठों की ब्लॉगवाणी गूंजे, भङास निकल जाये।
स्वयं सम्पादक दे विषय लिखने को ’कवि हृदय‘
लेखनी की वर्षो पुरानी हसरत निकल जाये।
सरकारी अवकाश न आये इतवार के दिन,
सिर्फ आकस्मिक अवकाश में २०१० निकल जाये।
अतिरिक्त चार्ज से डिस्चार्ज न हो निज ऊर्जा,
बकाया एरीयर, उधार, टी.ए.-मेडीकल मिल जाये।
अपडेट रहे जीवन का एन्टी वायरस सदा,
डेली रूटीन सदैव डीफ्रेगमेन्ट हो जाये।
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