दिसंबर 30, 2009

कोटला मैदान से आगामी मैचों की मेजबानी छीनना...............यह सजा हरगिज ना मिले।




















कोटला मैदान से आगामी मैचों की मेजबानी छीनना...............यह सजा हरगिज ना मिले।






फिरोजशाह कोटला मैदान की खराब पिच की सजा जिसे मिलनी थी मिल गई। डीडीसीए पिच कमेटी के अध्यक्ष चेतन चौहान ने पिच की खामी की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है, बीसीसीआई ने पिच एण्ड ग्राउण्ड कमेटी के सभी पाँचों सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है। आईसीसी का कहना है कि भारत में उच्च स्तरीय पिचों का निर्माण होता है व कोटला पिच पर उसने बीसीसीआई से १४ दिनों में इस पर प्रतिक्रिया मांगी है।
पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी डीडीसीए के इस रवैये पर एतराज जताया कि वह पेशेवर काम के लिए पेशेवर व्यक्तियों की नियुक्ति क्यों नहीं करता है व गैरपेशेवर व्यक्तियों से कार्य करवा कर आखिर क्यों माखौल उङवाया जाता है।इसके उपरान्त भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से यदि और भी कोई व्यक्ति इसके लिए जिम्मेदार पाया जाता है तो उसे भी सजा मिलनी चाहिए किन्तु आईसीसी या बीसीसीआई को अगले मैचों की मेजबानी छीनने का निर्णय उन दर्शकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कदापि नहीं करना चाहिए जिनकी भावनायें पहले ही आहत हो चुकी हो। यदि इस प्रकार का कोई फैसला लिया जाता है तो उन दर्शकों के लिए एक और बुरी खबर होगी। अतः सरकार व बीसीसीआई को आगे बढकर इसे चुनौती के रूप में स्वीकारना चाहिए व सर्वोत्तम पिच का निर्माण करवाकर क्रिकेट दर्शकों के हुए नुकसान की भरपाई सूद सहित करनी चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

यह ब्लॉग खोजें